Categories: Insecticides
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उपयोग : इस दवा का उपयोग धान के भूरा पौध का फुदका, हरी पत्ते का फुदका, पर्ण वेलनक, पीला तना छेदक, मक्का की तना मक्खी, बंगाली चना, उड़द और मूंग के पत्ती छेदक, मटर का सुरंगी कीट, गन्ना के अगेती, तना छेदक, दहिया, पर्ण थलगी, पड़ी कीट, पोर के छेदक तथा कपास तिलहन, तथा अन्य फसलों के कीटों की रोक-थाम के लिए किया जाता है। उपयोग के लिए निर्देश : उपयोग से पहले संलग्न लीफलेट पढ़ें।
जहर चढ़ने के लक्षण : सिरदर्द, चक्कर आना, भ्रमि, उल्टी, मतली, पसीना आना, आंसू तथा लार टपकना आदि।
प्राथमिक उपचार : १. निगले जाने पर गैस्ट्रिक लवेज के साथ ५% सोडियम बाइकार्बोनेट दें। गले में उंगली डालकर उल्टी कराए। २. दूषित त्वचा और कपड़ों को धो डालें। आंखों को नमक मिले पानी से धोयें । आंखों को नमक मिले पानी से धोयें |
औषधि-चिकित्सा : (१) एट्रोपिन सल्फेट २-४ मि.ग्रा. ५-१० मिनट बाद घंटों तक नाड़ी में इंजेक्शन दें। (२) १-२ ग्राम २ पी.ए.एम १० मि.ग्रा. आसुत जल में मिलाकर बहुत धीरे-धीरे नाड़ी में इंजेक्शन दें।
सावधानियाँ : दवा को न सूंघे और स्पर्श से बचें। दूषित त्वचा और कपड़ों को धो डालें । उपयोग के समय खाना-पीना तथा धूम्रपान करना मना है। खाली डिब्बे को नष्ट कर दें। शाक-सब्जी के उपयोग पर पाबन्दी |